Indicators on moral stories in Hindi You Should Know
Indicators on moral stories in Hindi You Should Know
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पंचतंत्र की कहानी: घंटीधारी ऊंट – ghanti dhari unt
चिंता का यह कीड़ा उसे लगातार काटे जा रहा था जल्द ही वह सूखने लगा और एक दिन वह गुठली और छिलका के रूप में ही बस रह गया, उसके अंदर का सारा रस समाप्त हो गया था।
चूड़ियों की गिनती
व्यक्ति विनम्रता से बोला – भगवान, वैसे तो मै समय पर ही पहुंच जाता परन्तु रास्ते में एक बोझ उठाने वाली वृद्ध महिला की मदद करने में, एक वृद्ध गाड़ीवाले के गाड़ी को कीचड़ से निकालने में, और एक अंधी वृद्धा को उसके झोपडी तक पहुंचाने में थोड़ी विलंब हो गयी,
कृष्ण और उसका दोस्त हंसते हुए और अपने बचपन के बारे में बात करने में समय बिताते हैं लेकिन सुदामा, अपने मित्र द्वारा दिखाए गए दया और करुणा से अभिभूत होकर कृष्ण से मदद नहीं मांग पा रहे हैं। जब वह घर लौटता है, तो सुदामा को पता चलता है कि उसकी झोपड़ी को एक विशाल हवेली से बदल दिया गया है और उसकी पत्नी और बच्चों को अच्छे कपड़े पहनाए गए हैं।
यहां कुछ और संसाधन दिए गए हैं जो आपको प्रेरणा दे सकते हैं :-
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तीन शाही सलाहकार
यह बात उन दिनों की है जब महात्मा गांधी जी के पिता जी का तबादला पोरबंदर से राजकोट हो गया था.
कृष्ण ने सुदामा को गले लगाकर उनका स्वागत किया और उनके साथ अत्यंत प्रेम और सम्मान का व्यवहार किया। सुदामा, कृष्ण के लिए मिले गरीब आदमी के चावल के नाश्ते से शर्मिंदा हैं, इसे छिपाने की कोशिश करते हैं। लेकिन सर्वज्ञ कृष्ण सुदामा से उनका वरदान मांगते हैं और अपने पसंदीदा चावल स्नैक्स खाते हैं जो उनके दोस्त उनके लिए लाते हैं।
ठीक इसी प्रकार अगर आप किसी बुरे चीज़ में भी सिर्फ अच्छाइयों को देखते हो उस अच्छाइयों को बारें में चिंतन करते हो तब आपमें उस अच्छाई का कुछ अंश समाहित हो जाता है।
गाँधी जी ने अपने जीवन में कभी भी मांस को हाथ नहीं लगाया. किन्तु एक बार उन्होंने मांस का सेवन किया get more info था. जब गाँधी जी ने मांस खा लिया उस रात को गाँधी जी को पूरी रात अपने पेट में बकरे की बोलने की आवाज महसूस हुई.
उनके ऐसे ही न जाने कितने प्रेरक प्रसंग हैं, जो न केवल इन्सानियत और मानवता का पाठ पढ़ाते हैं, बल्कि यह भी बताते हैं कि जनता के एक प्रतिनिधि का स्वरूप कैसा होना चाहिए।विराट हृदय वाले शास्त्री जी अपने देश के लोगों के विकास और वतन की शांति की स्थापना के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहे। उन्हें कभी भी किसी पद या सम्मान की लालसा नहीं रही। उनके राजनीतिक जीवन में अनेक ऐसे अवसर आए,जब शास्त्री जी ने इस बात का सबूत दिया कि देश और मानव सेवा ही उनका उद्देश्य है और इस तरह लोगों के समक्ष कई प्रेरणादायी उदाहरण रखे। उनके विषय में यह कहा जाता है कि वह अपना त्यागपत्र सदैव अपनी जेब में रखते थे। ऐसे निःस्पृह व्यक्तित्व के धनी,शास्त्री जी भारत माता के सच्चे सपूत थे।
आपको हर सुबह भीगे हुए बादाम क्यों खाने चाहिए?